क्या वास्तु
दोषों को वास्तु सुधार से ठीक किया जा सकता है
पहला पारंपरिक तरीका से निर्माण को
बदलकर और नया निर्माण करके वास्तु दोषों को ठीक किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी
घर की उत्तर-पूर्व दिशा में शौचालय है तो सुधार यह होगा कि उसे तोड़कर उत्तर-पश्चिम
या दक्षिण-पूर्व क्षेत्र में नया शौचालय बनाया जाए। लेकिन नए शौचालय के निर्माण के
लिए सुझाए गए क्षेत्र में जगह उपलब्ध होनी भी चाहिए तभी ऐसा संबंव होगा। इसी प्रकार
यदि उत्तर-पूर्व में सीढ़ियां हैं तो उसे तोड़कर उचित क्षेत्र में नई सीढ़ी बनानी चाहिए।
तो, पारंपरिक विधि और कुछ नहीं बल्कि सभी वास्तु नियमों का नए सिरे से पालन करना होता
है।
दूसरी विधि आध्यात्मिक विधि है जहां
पूजा, यज्ञ, हवन और मूर्ति के चित्र आदि की सहायता से वास्तु दोषों को ठीक किया जाता
है। यह विधि कुछ समय के लिए मन की शांति दे सकती है लेकिन वास्तु दोषों को बिल्कुल
पूर्णरूप से ठीक नहीं किया जा सकता। यह माना जाता है कि पूजा, पाठ व मूर्ति के चित्र
आदि बहुत सारी ऊर्जा छोड़ते हैं लेकिन वास्तु के लिए आवश्यक ऊर्जा नहीं होती है जो
की पूर्ण रूप से वास्तु दोष दूर करने में कम सहायक होते है।
तीसरा और सबसे आशाजनक तरीका वर्चुअल
विधि है जहां किसी भी विध्वंस या बड़े बदलाव का उपयोग किए बिना किन्ही वास्तु दोषो
को ठीक किया जाता है। इस पद्धति के तहत न केवल भवन के वास्तु को ठीक किया जाता है बल्कि
भूमि के वास्तु को भी ठीक किया जाता है। सुधार विधि में पिरामिड, रत्न और पत्थर, तांबे
की छड़, ओरेगन, रसायन, ऊर्जा प्लेट आदि जैसे अत्यधिक ऊर्जा वाले उत्पादों का उपयोग
शामिल होता है। इन उत्पादों में इसके "दोषो " आसपास के क्षेत्र में उच्च
स्तर की ऊर्जा उत्पन्न करने की क्षमता होती है। यह विधि पारंपरिक विधि की तुलना में
बहुत प्रभावी और सस्ती है। इस विधि में कुछ उत्पादों जैसे दर्पण, तार, कैल्शियम, रंग
आदि का भी उपयोग किया जाता है जो निश्चित तौर पर प्रभावशाली होता है।
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