Wednesday, September 29, 2021

क्या वास्तु दोषों को वास्तु सुधार से ठीक किया जा सकता है

 

क्या वास्तु दोषों को वास्तु सुधार से ठीक किया जा सकता है



पहला पारंपरिक तरीका से निर्माण को बदलकर और नया निर्माण करके वास्तु दोषों को ठीक किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी घर की उत्तर-पूर्व दिशा में शौचालय है तो सुधार यह होगा कि उसे तोड़कर उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व क्षेत्र में नया शौचालय बनाया जाए। लेकिन नए शौचालय के निर्माण के लिए सुझाए गए क्षेत्र में जगह उपलब्ध होनी भी चाहिए तभी ऐसा संबंव होगा। इसी प्रकार यदि उत्तर-पूर्व में सीढ़ियां हैं तो उसे तोड़कर उचित क्षेत्र में नई सीढ़ी बनानी चाहिए। तो, पारंपरिक विधि और कुछ नहीं बल्कि सभी वास्तु नियमों का नए सिरे से पालन करना होता है।

दूसरी विधि आध्यात्मिक विधि है जहां पूजा, यज्ञ, हवन और मूर्ति के चित्र आदि की सहायता से वास्तु दोषों को ठीक किया जाता है। यह विधि कुछ समय के लिए मन की शांति दे सकती है लेकिन वास्तु दोषों को बिल्कुल पूर्णरूप से ठीक नहीं किया जा सकता। यह माना जाता है कि पूजा, पाठ व मूर्ति के चित्र आदि बहुत सारी ऊर्जा छोड़ते हैं लेकिन वास्तु के लिए आवश्यक ऊर्जा नहीं होती है जो की पूर्ण रूप से वास्तु दोष दूर करने में कम सहायक होते है।

तीसरा और सबसे आशाजनक तरीका वर्चुअल विधि है जहां किसी भी विध्वंस या बड़े बदलाव का उपयोग किए बिना किन्ही वास्तु दोषो को ठीक किया जाता है। इस पद्धति के तहत न केवल भवन के वास्तु को ठीक किया जाता है बल्कि भूमि के वास्तु को भी ठीक किया जाता है। सुधार विधि में पिरामिड, रत्न और पत्थर, तांबे की छड़, ओरेगन, रसायन, ऊर्जा प्लेट आदि जैसे अत्यधिक ऊर्जा वाले उत्पादों का उपयोग शामिल होता है। इन उत्पादों में इसके "दोषो " आसपास के क्षेत्र में उच्च स्तर की ऊर्जा उत्पन्न करने की क्षमता होती है। यह विधि पारंपरिक विधि की तुलना में बहुत प्रभावी और सस्ती है। इस विधि में कुछ उत्पादों जैसे दर्पण, तार, कैल्शियम, रंग आदि का भी उपयोग किया जाता है जो निश्चित तौर पर प्रभावशाली होता है।

अगर आप ज्योतिष सबन्धित कोई प्रश्न पूछना चाहते है तो दिए गए लिंक पर क्लीक कर कमेंट बॉक्स में अपनी जन्म तिथि, समय और जन्म स्थान के साथ कोई प्रश्न भी लिखे समय रहते आपको जवाब दिया जायेगा कृपया पोस्ट को लाइक शेयर व सब्सक्राइब भी करे 

वास्तु संबंधित ज्यादा जानकारी के लिए - Shribalaji - पर क्लिक कर देखे….

Tuesday, September 28, 2021

ऑफिस में किन पौधों से बचना चाहिए

 

घर और ऑफिस में किन पौधों से बचना चाहिए?


मृत या मरने वाले पौधों को घर से हटा दें। सूखे फूल भी बदकिस्मत होते हैं! मर्टल ट्री (जीनस लेगरस्ट्रोमिया) को बुरी आत्माओं का पसंदीदा माना जाता है! इसलिए अपना घर बनाते समय व घर में लगाते समय सावधानी बरतें! उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में ऊंचे पेड़ नकारात्मक ऊर्जा लाते हैं। कुछ पौधे जैसे कपास का पौधा, रेशमी कपास का पौधा और पलमायरा का पेड़ अशुभ माना जाता है। बबूल/कीकर और घर के आस-पास के अन्य कांटेदार पौधे अराजकता और असामंजस्य पैदा करते हैं, ऐसे से बचें क्योंकि वे वास्तु पौधे नहीं हैं। दूधिया रस के पौधे एक बड़ी संख्या हैं! साथ ही महुआ, बनिया, पीपल जैसे दूध देने वाले पेड़, फलदार पेड़ घर के अंदर नहीं लगाने चाहिए ! खासकर आम और जामुन!

वास्तु के अनुसार बोनसाई नकारात्मक है जबकि फेंगशुई के अनुसार यह वास्तव में घर के लिए अच्छा है! विरोधाभास के बारे में स्वयं पता करें! वास्तु के अनुसार घर के प्रवेश द्वार पर लता लगाने से बचें और उन्हें परिसर की दीवार के बाहर उगाने से भी बचना चाहिए। लताओं को बगीचे में ही उगाना चाहिए। घर के सामने या बीच में पेड़ न लगाएं। ये ऊर्जा प्रवाह में बाधा डालेंगे। इन्हें धन या घर के लिए वास्तु का पौधा नहीं माना जाना चाहिए। निवारण के लिये -Shribalaji- पर क्लिक करे

 


Monday, September 27, 2021

घर के सामने के दरवाजे के लिए कौन से पेड़ अच्छे हैं


घर में व सामने के लिए लगाए ये वास्तु पेड़ तो होगा सब शुभ

कहा जाता है कि नुकीले और कांटेदार पौधों को घरों में नहीं रखना चाहिए जैसे कि कैक्टि या कंटीली झाड़ियाँ। हालाँकि कैक्टि की कुछ उप-प्रजातियों को सजावट के सामान और सजावटी पौधों के रूप में रखा जा सकता है। आर्बरविटे सदाबहार पेड़ जैसे थूजा और अशोक के पेड़ अच्छे विकल्प हैं। उत्तरार्द्ध भी वास्तु अनुरूप है, अशोक वृक्ष वास्तु लाभ सुख और भाग्य हैं। बर्ड ऑफ पैराडाइज और पेटुनीया जैसे सजावटी पौधे सामने के दरवाजे के बाहर गमलों के लिए सबसे अच्छे पौधे हैं। वास्तु पौधों की तरह ही कुछ मछलियां भी होती हैं जो समृद्धि ला सकती हैं। घर के लिए सबसे अच्छी वास्तु मछलियों की जाँच करें जो सकारात्मकता की शक्ति का उपयोग कर सकती हैं। ज्यादा जानकारी के लिए हमारे ब्लॉग -planetsandluck- पर क्लिक कर को देखे….

अगर आप ज्योतिष या वास्तु सबन्धित कोई प्रश्न पूछना चाहते है तो दिए गए लिंक पर क्लीक कर कमेंट बॉक्स में अपनी जन्म तिथि, समय और जन्म स्थान के साथ कोई प्रश्न भी लिखे समय रहते आपको जवाब दिया जायेगा कृपया पोस्ट को लाइक, शेयर व सब्सक्राइब भी करे। 


Thursday, September 23, 2021

परीक्षा व पढाई में एकाग्रता के लिए महत्वपूर्ण टिप्स


 परीक्षा की तैयारी व पढाई में एकाग्रता के लिए कुछ अन्य महत्वपूर्ण टिप्स 

पढ़ते और सीखते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए क्योंकि यह एकाग्रता में सुधार करने में मदद करता है।

आपको अपने अध्ययन कक्ष में खंभों और नुकीले फर्नीचर के टुकड़ों को रखने से बचना चाहिए क्योंकि इनसे मन विचलित होता है।

आपको अपनी स्टडी टेबल को किसी ठोस दीवार से सटाकर नहीं रखना चाहिए।

अपनी स्टडी टेबल को कभी भी अव्यवस्थित न रखें क्योंकि इससे आपका ध्यान पढ़ाई से हट सकता है।

आपका अध्ययन कक्ष उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। यह आपको पढ़ाई के दौरान ऊर्जावान महसूस करने में मदद करेगा और ज्ञान के लिए आपकी खोज को भी बढ़ाएगा।

आपकी स्टडी टेबल नियमित आकार की होनी चाहिए (उदाहरण के लिए, आयत, वर्ग आदि)। अनियमित आकार वाली स्टडी टेबल छात्रों में भ्रम पैदा करती हैं। इसके अलावा, स्टडी टेबल के कोने गोल और चिकने होने चाहिए।

कोई भी बुकशेल्फ़ अपनी स्टडी टेबल के ऊपर या उसके किनारों पर न रखें।

अंतिम लेकिन कम से कम, अध्ययन कक्ष में सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत करने और अपनी एकाग्रता में सुधार करने के लिए अपनी अध्ययन करने वाली मेज पर सरस्वती यंत्र या सरस्वती माँ की मूर्ति रखें।

हमारी वेबसाइट पर समय समय पर वास्तु से संबंधित व अन्य भिन्न भिन्न विषयों पर समय समय पर  पोस्ट डाली जाती है आप उसे निरंतर देखते रहे और लाभ उठाये सभी लिंक आगे लिखे जा रहे है। प्रभावी उपायों के लिए आप भी कमेंट बॉक्स में जा कर अपने सुझाव या समस्या आदि लिख मुफ्त समाधान प्राप्त कर सकते है जो आपके बच्चे को एक पुरस्कृत करियर बनाने में मदद करेगा।


  बाकि जानकारी के लिए कृपया - Shribalajijyotish - पर क्लिक करे । 






Wednesday, September 22, 2021

पितृ विसर्जन अमावस्या

 पितृ विसर्जन अमावस्या यानि आश्विन कृष्ण अमावस्या

            आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पितृ विसर्जन अमावस्या कहा जाता है। इस दिन पितर लोक से आए हुए पित्तीश्वर महालय भोजन में तृप्त हो अपने लोक को जाते हैं। इस दिन ब्राह्मण भोजन तथा दानादि से पितर तृप्त होते हैं। जाते समय वे अपने पुत्र, पौत्रों पर आशीर्वाद रूपी अमृत की वर्षा करते हैं।

            इस दिन स्त्रियां संध्या समय दीपक जलाने की बेला में पूड़ी, मिष्ठान्न अपने दरवाजों पर रखती हैं। जिसका तात्पर्य यह होता है कि पितर जाते समय भूखे न जाएं। इसी प्रकार दीपक जलाकर पितरों का मार्ग आलोकित किया जाता है। श्राद्ध पक्ष अमावस्या को ही पूर्ण हो जाते हैं ।

            इस अमावस्या का श्राद्धकर्म और तान्त्रिक दृष्टिकोण से बहुत अधिक महत्व है। भूले-भटके पितरों के नाम का ब्राह्मण तो इस दिन जिमाया ही जाता है, साथ ही यदि किसी कारणवश किसी तिथि विशेष को श्राद्धकर्म नहीं हो पाता, तब उन पितरों का श्राद्ध भी इस दिन किया जा सकता है। इस अमावस्या के दूसरे दिन से शारदीय नवरात्र प्रारम्भ हो जाते हैं। यही कारण है कि मां दुर्गा के प्रचण्ड रूपों के आराधक और तंत्र साधना करने वाले इस अमावस्या की रात्रि को विशिष्ट तान्त्रिक साधनाएं भी करते हैं।

यही कारण है कि आश्विन मास की अमावस्या को पितृ विसर्जन अमावस्या भी कहा जाता है ।

बाकि जानकारी के लिए कृपया - Shri balaji jyotish - पर क्लिक करे । 

संतान बाधा और उपाय

  (संतानहीन योग ) पंचमेश पापपीड़ित होकर छठे, आठवें, बारहवें हो एवं पंचम भाव में राहु हो, तो जातक के संतान नहीं होती। राहु या केतु से जात...