लगभग सभी वास्तुविद अपनी पुस्तकों में भवन निर्माण
में तोड़े गए भवन से निकली पुरानी सामग्री जैसे ईंट, पत्थर, सरिया एंगल, गार्डर, खिड़की-दरवाजे
इत्यादि का उपयोग वास्तु सम्मत ना मानते हुए इसके उपयोग का विरोध करते हैं। उनके अनुसार
पुरानी सामग्री के उपयोग से वास्तुदोष उत्पन्न होता है। मैंने भी अपनी पूर्व प्रकाशित
पुस्तकों में भवन निर्माण में पुरानी सामग्री उपयोग नहीं करने की सलाह दी है, किंतु
यह धारणा बिलकुल गलत है। वास्तुशास्त्र के किसी प्रामाणिक ग्रन्थ में इस तरह की कोई
बात मेरे अध्ययन में नहीं आई है। मेरे पिछले कई वर्षों के व्यावहारिक अनुभव में यह
आया है कि. पुरानी सामग्री के उपयोग से एक प्रतिशत भी वास्तुदोष उत्पन्न नहीं होता
है। मैंने ही ऐसे घर देखे हैं, जिन्होंने पुरानी सामग्री का उपयोग कर वास्तुनुकूल घर
का निर्माण किया और वे परिवार सहित सुखद- सरल और समृद्धशाली जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
महत्त्वपूर्ण बात यह है कि चाहे भवन निर्माण की सामग्री नई हो या पुरानी, सुखद जीवन
के लिए निर्माण वास्तुनुकूल होना चाहिए।
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