जल का स्थान भूमिगत पानी की टंकी, कुआँ, बोरिंग, सेप्टिक टैंक इत्यादि किसी भी रूप में हो सकता है। विभिन्न दिशाओं में इन स्रोतों का प्रभाव इस प्रकार होता है।
पूर्व- • ऐश्वर्य प्राप्ति एवं संतान की तरक्की ।
पूर्व आग्नेय- - पुत्र को कष्ट, अर्थनाश एवं अग्नि-भय।
दक्षिण आग्नेय--
गृहिणी अस्वस्थ एवं भय की शिकार।
दक्षिण-- स्त्रियों को मानसिक बीमारियाँ, आर्थिक एवं
शारीरिक कष्ट।
दक्षिण नैत्रत्य-
स्त्रियाँ ज्यादा अस्वस्थ कर्ज एवं चरित्रहीनता।
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