Tuesday, November 30, 2021

मकर लग्न में धनयोग -- द्वितीय भाग

 

  1. द्वितीय त्रिकोण अर्थात् कन्या राशि में राहु-शुक्र-मंगल-शनि हो तो जातक कुबेर से भी अधिक धनवान होता है।
  2. गुरु व चंद्रमा की युति यदि 4,5,9,11वें भाव में से कहीं भी हो तो जातक को यकायक अर्थ प्राप्ति होती है।
  3. चंद्रमा व मंगल एक साथ 1,4,7,10 केंद्र भावस्थ 5,9 त्रिकोण में अथवा 2,4,11 भाव में कहीं हो तो जातक धनाढ्य होता है
  4. धनेश तुला राशि में एवं लाभेश मंगल मकर राशिगत अर्थात् लग्न में हो तो जातक धनवान होता है।
  5. बुध पंचम भावस्थ हो तथा चंद्र, मंगल की युति लाभ भाव में हो तो जातक को यकायक अर्थलाभ होता है।
  6. चतुर्थेश मंगल व सप्तमेश चंद्रमा सप्तम भाव में ही स्थित हो तो जातक को ससुराल से अर्थ प्राप्ति होती है।
  7. सप्तमेश चंद्रमा धन भाव में यदि हो तो खोई हुई संपत्ति पुनः प्राप्त होती है, अथवा विवाहोपरांत आर्थिक दशा और अधिक सुदृढ़ होती है 
  8. अष्टमेश पापग्रह से युक्त होकर दशम भावस्थ हो तो राज्य पुरस्कार प्राप्ति करता है अथवा दत्तक माना जाता है और धनी होता है। 
  9. मकर लग्न में यदि बलवान शनि को पंचमेश शुक्र से युति हो तो ऐसे व्यक्ति को पुत्र द्वारा धन की प्राप्ति होती है किवा पुत्र जन्म के बाद ही जातक का भाग्योदय होता है।
  10. द्वादश भाव चंद्रमा से द्वितीय भाव या चंद्र के साथ कोई ग्रह न हो और लग्न से केंद्र में सूर्य को छोड़कर अन्य कोई ग्रह न हो तो वह जातक दरिद्री व निंदित होता है।
  11. मकर लग्न में बलवान शनि की यदि षष्टेश बुध से युति हो, धनभाव मंगल से दृष्ट हो तो ऐसे जातक को शत्रुओं के द्वारा धन की प्राप्ति होती है। ऐसा जातक कोर्ट-कचहरी में शत्रुओं को हराता है तथा शत्रुओं के कारण ही उसे धन व यश की प्राप्ति होती है

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Thursday, November 25, 2021

धनु लग्न और धन योग --प्रथम भाग--

 



धनु लग्न में शनि सूर्य के घर में तथा सूर्य शनि के घर में परस्पर राशि परिवर्तन करके बैठे हो अर्थात् शनि, सिंह राशि में तथा सूर्य, मकर या कुंभ राशि में हो तो जातक महाभाग्यशाली होता है। लक्ष्मी ऐसे जातक की अनुचरी होती है। धनु लग्न में शनि, मिथुन या कन्या राशि में तथा बुध मकर या कुंभ राशि में परस्पर परिवर्तन योग करके बैठा हो तो व्यक्ति भाग्यशाली होता है। ऐसा व्यक्ति जीवन में बहुत धन कमाता है। धनु लग्न में बृहस्पति लग्न में बुध एवं मंगल से युत हो अथवा लग्नस्थ बृहस्पति, बुध मंगल से दृष्ट हो तो जातक महाधनशाली होता है।धनु लग्न के पंचमभाव में स्वगृही मंगल हो तथा स्वगृही शुक्र लाभस्थान हो तो जातक महालक्ष्मीशाली होता है। धनु लग्न में बुध यदि केंद्र-त्रिकोण में हो तथा शनि स्वगृही (मकर, कुंभ राशि में) हो, तो जातक कीचड़ में कमल की तरह खिलता है। अर्थात् सामान्य परिवार में जन्म लेकर भी जातक धीरे-धीरे अपने पुरुषार्थ व पराक्रम से लक्षाधिपति, कोट्याधिपति हो जाता है। धनु लग्न में बृहस्पति+ चंद्र+ मंगल की युति हो तो "महालक्ष्मीयोग" बनता है। ऐसा जातक प्रबल पराक्रमी, अतिधनवान, ऐश्वर्यवान एवं महाप्रतापी होता है।

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Saturday, November 20, 2021

स्वयं जाने वृश्चिक लगन में धन कितना--द्वितीय भाग--

 



गुरु शुक्र दोनों मकर राशि में तृतीय स्थान में हो तो उस जातक के संचित धन को कुपुत्र उड़ा देते हैं तथा उसे संतान सुख प्राप्त नहीं होता । गुरु दशम भाव में तथा शनि चतुर्थ भाव में हो तो जातक को भूमि से अत्यधिक लाभ होता है छठे भाव में बुध हो तो जातक रोगी एवं लक्ष्याधिपति दोनों साथ-साथ होता है। लग्नेश जहां बैठा हो, उस राशि का स्वामी यदि स्वग्रही या 5/9 भवन में या अपने मूल त्रिकोण अथवा केंद्र में बैठा हो तो 45 वर्ष में जातक का भाग्योदय होता है तथा वह भूसंपत्ति प्राप्त करता है. जिस नवांश में उसका स्वामी यदि उच्च राशि में पंचमेश के साथ भाग्य स्थान में हो तो लक्ष्मीवान, पुत्रवान जातक समृद्धिशाली होता हैं। लग्नेश धन भाव गत हो या धनेश-लाभेश गुरु, बुध एवं लग्नेश मंगल के साथ लाभस्थ हो तो गुप्त धन की प्राप्ति होती है। सूर्य लग्न, चंद्र लग्न, लग्नेश तथा शुभ द्वितीय, पंचमेश, गुरु सब की परस्पर युति या दृष्टि हो तथा जातक धनवान एवं उच्च पदाधिकारी होता है। चन्द्रमा केंद्र में हो, चंद्रमा उच्च का हो, सूर्य वृश्चिक का लग्न में हो, शुक्र तुला का स्वगृही द्वादश भावस्थ हो, गुरु केंद्र में हो, बुध चंद्र से 8वें पड़ा हो तो जातक की मासिक आय कई सहस्र होती है। वृश्चिक लग्न में यदि मीन का गुरु पंचम में हो, पंचम भाव शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो ऐसे व्यक्ति को पुत्र द्वारा धन की प्राप्ति होती है किवा पुत्र जन्म के बाद ही जातक का भाग्योदय होता है। अधिक जानकारी/निवारण के लिये Shribalaji- पर क्लिक करे।

Tuesday, November 16, 2021

तुला लग्न और धन योग--प्रथम भाग--

 

     


 

तुला लग्न में बुध, मिथुन या सिंह राशि में हो तो जातक अल्प प्रयत्न से बहुत रुपया कमाता है। धन के मामले में ऐसा व्यक्ति भाग्यशाली कहलाता है।  तुला लग्न में मंगल, मेष, वृश्चिक या मकर राशि में हो तो व्यक्ति धनाध्यक्ष होता है, लक्ष्मी चेरी की तरह उस व्यक्ति की सेवा करती है। तुला लग्न में मंगल बुध के घर में तथा बुध, मंगल के घर में हो अर्थात् बुध, मेष या वृश्चिक राशि में हो तथा मंगल मिथुन या कन्या में परिवर्तन योग करके बैठा हो तो व्यक्ति भाग्यशाली होता है तथा जीवन में खूब धन कमाता है। तुला लग्न में मंगल यदि सूर्य के घर में तथा सूर्य मंगल के घर हो अर्थात् मंगल, सिंह राशि का हो तथा सूर्य मेष या वृश्चिक का हो तो जातक महाभाग्यशाली होता है। ऐसे व्यक्ति की लक्ष्मी दासी के समान सेवा करती है। तुला लग्न में यदि चंद्रमा केंद्र त्रिकोण में हो तथा मंगल स्वगृही हो तो जातक कीचड़ में कमल की तरह खिलता है अर्थात् सामान्य परिवार में जन्म लेकर धीरे-धीरे अपने पुरुषार्थ व पराक्रम से लक्षाधिपति व कोट्याधिपति हो जाता है। यह स्थिति प्राय: 28 वर्ष के बाद होती है। तुला लग्न में शुक्र, चंद्रमा और सूर्य की युति हो तो जातक महाधनी होता है तथा धनशाली व्यक्तियों में अग्रगण्य गिना जाता है। तुला लग्न में शनि मकर या कुंभ का हो तो जातक धनवान होता है। तुला लग्न में शुक्र सिंह राशि में एवं सूर्य तुला राशि में हो तो जातक 33वें वर्ष में पांच लाख रुपए कमा लेता है तथा शत्रुओं का नाश करते हुए स्वअर्जित धनलक्ष्मी को भोगता है। ऐसे व्यक्ति को जीवन में अचानक रुपया मिलता है। तुला लग्न हो, लग्नेश शुक्र, धनेश मंगल, भाग्येश बुध तथा लाभेश सूर्य अपनी-अपनी उच्च एवं स्वराशि में हो तो जातक करोड़पति होता है। अधिक जानकारी/निवारण के लिये Shribalaji- पर क्लिक करे।

Sunday, November 14, 2021

कन्या लग्न और धन योग प्रथम भाग

 



कन्या लग्न में शुक्र यदि वृष, तुला या मीन राशि में हो तो व्यक्ति धनाध्यक्ष होता है, लक्ष्मी उसका पीछा नहीं छोड़ती।

कन्या लग्न में शुक्र, बुध के घर में तथा बुध, शुक्र के घर में अर्थात् शुक्र मिथुन या कन्या राशि में तथा बुध, वृष या तुला राशि में हो तो व्यक्ति जीवन में व्यापार के द्वारा खूब धन कमाता हुआ लक्ष्मीवान होता है।

कन्या लग्न में शुक्र चंद्रमा के घर में तथा चंद्रमा शुक्र के घर में अर्थात् चंद्रमा वृष या तुला राशि में हो तो शुक्र, कर्क राशि में हो तो जातक महाभाग्यशाली होता है। ऐसा व्यक्ति भाग्य के जोर से खूब धन कमाता है तथा लक्ष्मी उसकी दासी रहती है।

कन्या लग्न में शुक्र, वृष, तुला या मीन राशि का हो तो जातक अल्प प्रयत्न से बहुत रुपया कमाता है तथा इनका भाग्योदय प्रायः विवाह के बाद होता है। ऐसा व्यक्ति भाग्यशाली होता है।

कन्या लग्न में बुध यदि केंद्र त्रिकोण में हो तथा शुक्र स्वगृही हो तो कीचड़ में कमल की तरह खिलता है अर्थात् सामान्य परिवार में जन्म लेकर भी व्यक्ति धीरे-धीरे अपने पुरुषार्थ एवं पराक्रम से लक्षाधिपति व कोट्याधिपति बन जाता है।

कन्या लग्न में बुध लग्नगत हो तथा गुरु का शनि से युत किवा दृष्ट हो तो जातक महाधनी होता है।

कन्या लग्न में पंचमस्थ शनि स्वगृही हो तथा लाभस्थान में सूर्य चंद्रमा हो तो जातक महालक्ष्मीवान होता है । उसके पास खूब रुपया एवं संपत्ति होती है। अधिक जानकारी के लिये Shribalaji- पर क्लिक करे।

Monday, November 1, 2021

दिवाली या दीपावली



दिवाली, रोशनी का त्योहार है जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा और सबसे चमकीला त्योहार है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम, उनकी पत्नी माता सीता और उनके भाई श्री लक्ष्मण को राक्षस राजा रावण (लंका के राजा) पर जीत के बाद 14 साल के वनवास से लौटने का सम्मान और यह त्योहार आध्यात्मिक रूप से अंधेरे पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है। इस त्योहार की तैयारी और अनुष्ठान आम तौर पर पांच दिनों की अवधि में होते हैं, लेकिन दिवाली की मुख्य त्योहार की रात सबसे अंधेरी, अमावस्या की रात होती है। दिवाली के दौरान देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश, भगवान कुबेर, भगवान यमराज, भगवान धन्वंतरि, भगवान हनुमान, देवी काली, देवी सरस्वती, भगवान कृष्ण और दानव राजा बाली की पूजा की जाती है। दिवाली का उत्सव 5 दिनों तक चलता है।

दिवाली 2021 का उत्सव की तिथियां ।

दिवाली दिवस 1: 2 नवंबर, 2021 द्वादशी - धनतेरस

दिवाली दिवस 2: 3 नवंबर, 2021 त्रयोदशी - छोटी दिवाली

दिवाली दिवस 3: नवंबर 4, 2021 अमावस्या - दीपावली

दिवाली दिवस 4: 5 नवंबर, 2021 प्रतिपदा - पड़वा

दिवाली दिवस 5: 6 नवंबर, 2021 द्वितीया - भाई दूज

दिवाली या दीपावली के अन्य संबंधित नाम

धनतेरस, धन त्रयोदशी, धनत्रयोदशी, धन्वंतरि त्रयोदशी, दीपावली, नरक चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी, रूप चौदस, काली चौदस, बंदी छोर दिवस, अन्नकूट पूजा, भाई दूज, भैया दूजी, भाई टीका, नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है।

धनतेरस भी एक प्रमुख खरीदारी का दिन है, खासकर सोने या चांदी की वस्तुओं के लिए। व्यापारी, व्यापारी और खुदरा विक्रेता स्टॉक करते हैं, बिक्री पर लेख डालते हैं और इस दिन की तैयारी करते हैं। शाम को लक्ष्मी पूजा की जाती है। कुछ लोग अपनी दुकानों, कार्यस्थल या वस्तुओं को अपने जीविका और समृद्धि के प्रतीक के रूप में सजाते हैं। अधिक जानकारी/निवारण के लिये Shribalaji- पर क्लिक करे।

संतान बाधा और उपाय

  (संतानहीन योग ) पंचमेश पापपीड़ित होकर छठे, आठवें, बारहवें हो एवं पंचम भाव में राहु हो, तो जातक के संतान नहीं होती। राहु या केतु से जात...