धनु लग्न में शनि सूर्य के घर में तथा सूर्य शनि के घर में परस्पर राशि परिवर्तन
करके बैठे हो अर्थात् शनि, सिंह राशि में तथा सूर्य, मकर या कुंभ राशि में हो तो जातक
महाभाग्यशाली होता है। लक्ष्मी ऐसे जातक की अनुचरी होती है। धनु लग्न में शनि, मिथुन
या कन्या राशि में तथा बुध मकर या कुंभ राशि में परस्पर परिवर्तन योग करके बैठा हो
तो व्यक्ति भाग्यशाली होता है। ऐसा व्यक्ति जीवन में बहुत धन कमाता है। धनु लग्न में
बृहस्पति लग्न में बुध एवं मंगल से युत हो अथवा लग्नस्थ बृहस्पति, बुध मंगल से दृष्ट
हो तो जातक महाधनशाली होता है।धनु लग्न के पंचमभाव में स्वगृही मंगल हो तथा स्वगृही
शुक्र लाभस्थान हो तो जातक महालक्ष्मीशाली होता है। धनु लग्न में बुध यदि केंद्र-त्रिकोण
में हो तथा शनि स्वगृही (मकर, कुंभ राशि में) हो, तो जातक कीचड़ में कमल की तरह खिलता
है। अर्थात् सामान्य परिवार में जन्म लेकर भी जातक धीरे-धीरे अपने पुरुषार्थ व पराक्रम
से लक्षाधिपति, कोट्याधिपति हो जाता है। धनु लग्न में बृहस्पति+ चंद्र+ मंगल की युति
हो तो "महालक्ष्मीयोग" बनता है। ऐसा जातक प्रबल पराक्रमी, अतिधनवान, ऐश्वर्यवान
एवं महाप्रतापी होता है।
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