कुभ लग्न में शुक्र, वृष, तुला या मीन का हो तो जातक को अल्प प्रयत्न से अधिक धन की प्राप्ति होती है। ऐसा जातक धन के मामले में पूर्ण भाग्यशाली होता है। कुंभ लग्न में बृहस्पति धनु मीन या कर्क राशि में हो तो जातक भारी धनपति होता है तथा लक्ष्मी ऐसे जातक का पीछा नहीं छोड़ती।कुंभ लग्न में बृहस्पति यदि मंगल के घर में एवं मंगल बृहस्पति के घर में परस्पर
परिवर्तन योग करके बैठा हो अर्थात् बृहस्पति मेष या वृश्चिक राशि में हो तथा मंगल धनु
या मीन राशि में हो तो व्यक्ति महाभाग्यशाली होता है। ऐसा व्यक्ति खूब धन कमाता है
तथा लक्ष्मी उसकी अनुचरी होती है। कुंभ लग्न हो पंचम भाव में बुध हो, गुरु धनुराशि
का लाभस्थान में चंद्रमा या मंगल के साथ हो तो 'महालक्ष्मीयोग' बनता है। ऐसे जातक के
पास अटूट लक्ष्मी होती है। अपने भुजबल से शत्रुओं को परास्त करता हुआ ऐसा व्यक्ति अखंड
राज्यलक्ष्मी को भोगता है कुंभ लग्न में मंगल यदि केंद्र त्रिकोण में हो तथा गुरु स्वगृही
हो तो जातक कीचड़ में कमल की तरह खिलता है अर्थात् धीरे-धीरे अपने पुरुषार्थ व पराक्रम
से लक्षाधिपति व कोट्याधिपति हो जाता है। ऐसे जातक का भाग्योदय प्राय: 28 व 32 वर्ष
की आयु के मध्य होता है। कुंभ लग्न हो पंचम भाव में बुध हो तथा लाभस्थान में अर्थात्
धनु राशि में चंद्र, मंगल हो तो जातक महाधनी होता है। कुंभ लग्न हो, लग्न में शनि मंगल
एवं गुरु की युति हो तो 'महालक्ष्मीयोग' बनता है। ऐसा जातक प्रबल पराक्रमी, अतिधनवान,
ऐश्वर्यमान एवं महाप्रतापी होता है। कुंभ लग्न में शनि धनु राशि में हो तथा लाभेश गुरु
लग्न में हो तो जातक 33वें वर्ष में पांच लाख रुपये कमा लेता है तथा शत्रुओं का नाश
करते हुए स्वअर्जित धनलक्ष्मी को भोगता है। ऐसे व्यक्ति को जीवन में अचानक धन मिलता
है कुंभ लग्न हो, लग्नेश शनि धनेश व लाभेश बृहस्पति भाग्येश शुक्र अपनी-अपनी उच्चराशि
या स्वराशि में हो तो जातक करोड़पति होता है।
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