Friday, January 28, 2022

Heartburn, suffering from diseases, no peace in house, do these measures

 



  • फिर इनमें से किसी एक को बोलकर प्रणाम करें और ऐसा दिन में कई बार कर सकते हैं।1. या देवी सर्वभूतेषु भ्रान्तिरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।। 12. बुद्धिहीन तनु जानिक सुमिरौं पवनकुमार। बल बुद्धि विद्या देहु मम हरहु कलेस विकार ।। 3. ॐ घृणिः सूर्य आदित्यः । 4. मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः । यत्क्राँचमिथुनादेकमवधीः काममोहितम् ।। पानी पीते समय गिलास के पानी को मुंह के पास ले जाकर ॐ हंस हंसः । को बीस बार जप कर पानी पिएं।
  • रात में सोने से पहले बबूल, मिसवाक या नमक वाले टूथपेस्ट से ब्रश करें। सप्ताह में कम से कम एक बार पालक, मूली, बथुआ, मेथी, चौलाई आदि पत्तेदार सब्जी लें। हरो सौंफ छोटी इलायची और मिश्री का सेवन करें।

घर में सुख शान्ति के लिए

  • घर की कर्ताधर्ता महिला रविवार, मंगलवार शनिवार को सुन्दर काण्ड का पाठ करे।
  • पीछे बताए गए बरकत वाले उपायों का पालन करें।
  • रसोई में खड़े होकर या खाना बनाते परोसते खाते समय कटु तीखा और . उलाहना भरा वाक्य न बोलें।
  •  गंगाजल या तीर्थजल में चांदी का सिक्का आदि डालकर शयनकक्ष में टांड पड़छत्ती आदि में रखें। 
  • सुबह शाम घर में धूप दीप और कपूर जलाएं और इन मंगल श्लोकों का पाठ करें श्री गणेशाय नमः सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः । लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः ।।धूम्रकेतुः गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः ।। मंगलं भगवान् विष्णुमंगलं गरुडध्वजः। मंगलं पुण्डरीकाक्षो मंगलायतनं हरिः ।। • सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके । शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तु ते ।। सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत् ।।  मातरं पितरं वन्दे तथा विद्याप्रदं गुरुम् । कुलदेवीं च चन्द्राक ब्रह्मविष्णुमहेश्वरान् ।।
  • शयनकक्ष में सदा खुशबूदार मोमबत्ती, कपूर स्वाभाविक खुशबू वाला स्प्रे प्रयोग करें।
  • कमरों में पोदीने की टहनियां ट्यूबलाइट या बल्ब के पास टांग दें । सोने के कमरे में दर्पण सदा ऐसे रखें जिससे लेटे व्यक्ति का प्रतिबिम्ब न दिखे। बीम के नीचे सोना अशुभ है।

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Monday, January 17, 2022

राहु की शांति के विविध उपाय

 



  • राहु मंत्र का जप-हवन और भार्गव ऋषि प्रणीत लक्ष्मी-हृदय का पाठ करें, साथ ही शनि का व्रत करें, क्योंकि  "शनिवट् राहु" प्रसिद्ध ही है ।
  • औषधि स्नान एवं गूगल की नित्य धूप देना भी लाभप्रद है।
  •  सुयोग्य आचार्य से प्राप्त छिन्नमस्ता मां का मंत्र भी चमत्कारिक फल कर सकता है।
  •  यह बटुक भैरव प्रयोग भी लाभकारक रहेगा ।
  •  द्वादशभावस्थ शनि राहु के कुयोग से खोई हुई वस्तुएं या हानि के लिए कार्तवीर्यार्जुन मंत्र का प्रयोग अभीष्टप्रद रहता है ।
  • राहुकृत प्रेत बाधा या अभिचार सुरक्षा के लिए प्रत्यंगिरा मंत्र अथवा नृसिंह कवच का प्रयोग करें ।
  • उत्तम गोमेद और राहु यंत्र धारण भी लाभप्रद रहेगा।
  •  नित्य देवी पूजन और यथाशक्ति काले पदार्थों का दान करते रहना चाहिए ।
  •  राहु को प्रसन्न करने हेतु गोमेदयुक्त "राहुयंत्र" धारण करें।
  •  "नवनाथ" के 13 परायण करें।
  •  शिवजी पर बिल पत्र चढ़ावे ।
  • श्रावण में प्रति सोमवार लघुरुद्र पाठ करें।
  • शिव मंदिर के नियमित दर्शन करें।
  •  नागपंचमी को ताम्र अथवा रजत का नाग बनवाकर उस पूजा स्थान पर स्थापित कर उसको नियमित हल्दी, कुंकुम, नैवेद्य आदि से पूजन करें। कार्य हो जाने पर उन्हें ठंडा कर दें।
  •  शनि की होरा में निर्जल रहें।
  •  धत्तूरे के पुष्प शिवजी पर चढ़ावें।
  • लोहे के पात्र में जलादि ग्रहण करें।

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Saturday, January 8, 2022

मैं अपने शनि को कैसे खुश रखूँ

 



  1. जन्मांग में पंचम या नवम भाव से किसी भी प्रकार संबंधित शनि की स्थिति से, किसी समर्थ गुरु के निर्देशन में किया गया भगवती काली का आराधन चारों पुरुषार्थों का साधन बन सकता है ।
  2. शनि व्रत के सहित भगवान शंकर पर नित्य दूध या तिल तो चढ़ाना ही चाहिए ।
  3.  रात्रि में शिव, हनुमान मंदिर एवं पीपल वृक्ष के नीचे तिल या सरसों के तेल का दीपक भी जलाना चाहिए ।
  4.  काले वस्त्रों एवं तिलान्न का यथा संभव दान एवं उपयोग करना चाहिए। 
  5. शारीरिक व्याधि निवारणार्थ लघुमृत्युंजय का जप एवं हवन कर लिया जाए। गोचर में अनिष्ट शनि के शमन के लिए श्रीमद्भागवत के नल चरित्रका पाठ बहुत लाभप्रद है।
  6.  इसके अतिरिक्त तेल मालिश, सुरमा लगाना तथा नित्य गुग्ल की धूप देना बहत लाभप्रद हैं
  7. शनि को बलवान करने हेतु एवं धनवृद्धि के लिए नीलमयुक्त "शनियंत्र" धारण करें। 
  8.  युकलिप्टस वृक्ष के पत्ते को अपने पास शनिवार के दिन रखें।
  9. कपूर को खोपरे के तेल में मिलाकर सिर में लगावें। 
  10. शनिमंदिर के दर्शन करें (संध्या समय) ।
  11.  शनि स्तुति का वाचन अथवा श्रवण करें। 
  12. काले उड़द जल में प्रवाहित करें।
  13. शनि को तेल अर्पण करें। 
  14. काले उड़द का दान भी करें एक मुट्ठी भिखारियों को ही दे ।
  15.  स्टील अथवा लोहे के पात्र में जल भोजनादि ग्रहण करें। 
  16. शनि के होरा में निर्जल रहें।
  17. उड़द के पापड़ खावें ।

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संतान बाधा और उपाय

  (संतानहीन योग ) पंचमेश पापपीड़ित होकर छठे, आठवें, बारहवें हो एवं पंचम भाव में राहु हो, तो जातक के संतान नहीं होती। राहु या केतु से जात...