- राहु मंत्र का जप-हवन और भार्गव ऋषि प्रणीत लक्ष्मी-हृदय का पाठ करें, साथ ही शनि का व्रत करें, क्योंकि "शनिवट् राहु" प्रसिद्ध ही है ।
- औषधि स्नान एवं गूगल की नित्य धूप देना भी लाभप्रद है।
- सुयोग्य आचार्य से प्राप्त छिन्नमस्ता मां का मंत्र भी चमत्कारिक फल कर सकता है।
- यह बटुक भैरव प्रयोग भी लाभकारक रहेगा ।
- द्वादशभावस्थ शनि राहु के कुयोग से खोई हुई वस्तुएं या हानि के लिए कार्तवीर्यार्जुन मंत्र का प्रयोग अभीष्टप्रद रहता है ।
- राहुकृत प्रेत बाधा या अभिचार सुरक्षा के लिए प्रत्यंगिरा मंत्र अथवा नृसिंह कवच का प्रयोग करें ।
- उत्तम गोमेद और राहु यंत्र धारण भी लाभप्रद रहेगा।
- नित्य देवी पूजन और यथाशक्ति काले पदार्थों का दान करते रहना चाहिए ।
- राहु को प्रसन्न करने हेतु गोमेदयुक्त "राहुयंत्र" धारण करें।
- "नवनाथ" के 13 परायण करें।
- शिवजी पर बिल पत्र चढ़ावे ।
- श्रावण में प्रति सोमवार लघुरुद्र पाठ करें।
- शिव मंदिर के नियमित दर्शन करें।
- नागपंचमी को ताम्र अथवा रजत का नाग बनवाकर उस पूजा स्थान पर स्थापित कर उसको नियमित हल्दी, कुंकुम, नैवेद्य आदि से पूजन करें। कार्य हो जाने पर उन्हें ठंडा कर दें।
- शनि की होरा में निर्जल रहें।
- धत्तूरे के पुष्प शिवजी पर चढ़ावें।
- लोहे के पात्र में जलादि ग्रहण करें।
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