Friday, December 10, 2021

बृहस्पति की शांति के 40 विविध उपाय

 



  1. गुरु के कारण उत्पन्न समस्त अरिष्टों के शमन के लिए रुद्राष्टाध्यायी एवं शिवसहस्त्र नाम का पाठ अथवा नित्य रुद्राभिषेक करना अमोघ है। 
  2. वैदिक या तांत्रिक गुरु मंत्र का जप तथा कवच एवं स्तोत्र पाठ अथवा भगवान दत्तात्रेय के तांत्रिक मंत्र का अनुष्ठान भी लाभप्रद है। सौभाग्यवश जो लोग किसी समर्थ गुरुदेव की चरण-शरण में हैं, वे नित्य गुरुपूजन एवं गुरुध्यान करने से समस्त भौतिक एवं अभौतिक तापों से निवृत्त हो जाते हैं। 
  3. अधिक न कर सकें, तो मासिक सत्य नारायण व्रत कथा एवं गुरुवार तथा एकादशी का व्रत ही कर लें। 
  4. राहु मंगल आदि क्रूर एवं पाप ग्रहों से दूषित गुरु कृत संतान बाधा योग में शतचंडी अथवा हरिवंश पुराण एवं संतान गोपाल मंत्र का अनुष्ठान करें। 
  5. ब्राह्मण एवं देवता के सम्मान, सदाचरण, फलदार वृक्ष लगवाने एवं फलों के दान (विशेषकर केला, नारंगी आदि पीले फल) से बृहस्पति देव प्रसन्न होते हैं।
  6. पंचम भाव स्थित शनि गुरु के अरिष्ट शमनार्थ 40 दिन तक वट वृक्ष की 108 प्रदक्षिणा करना बहुत हितकारी होता है। 
  7. जिन स्त्रियों के विवाह में गुरु कृत बाधा से विलंब सूचित हो, उन्हें उत्तम पुखराज धारण करना चाहिए तथा केला या पीपल वृक्ष का पूजन करना चाहिए । 
  8. गुरु को बलवान करने एवं धनप्राप्ति हेतु पुखराज युक्त "गुरुयंत्र" धार करें चमेली के पुष्प (9) अथवा (12) लेकर उन्हें जल में प्रवाहित करें।

अधिक जानकारी/निवारण के लिये -Shribalaji- पर क्लिक करे।

No comments:

Post a Comment

संतान बाधा और उपाय

  (संतानहीन योग ) पंचमेश पापपीड़ित होकर छठे, आठवें, बारहवें हो एवं पंचम भाव में राहु हो, तो जातक के संतान नहीं होती। राहु या केतु से जात...