Thursday, December 30, 2021

शुक्र कब शुभ या पाप

 



लग्नानुसार वृष, मिथुन, तुला, मकर, कुम्भ, मीन राशियों में शुक्र शुभ होता है। लेकिन स्त्रक्षेत्री शुक्र खानेपीने के वक्त भी किसी कारण तनाव, आशंकाएं और कठिनाई पैदा करता है। कर्क, सिंह, कन्या राशियों में मध्यम और मेष, वृश्चिक, धनु में अशुभ होता है।

. शुक्रवार, दोपहर और रात का समय अर्थात् सोने के वक्त, वक्री, उदित अधिक वली होता है। कुण्डली में सूर्य के साथ या बिल्कुल पीछे कमजोर होता है। गुरु साथ हों तो शुक्र अशान्त रहता है।

• कुण्डली में शनि कमजोर हो तो शुक्र के सुख कम होते जाएंगे। यदि शनि बली हो तो शुक्र के शुभ फल बढ़ते हैं। शुक्र और शनि साथ हों तो सूर्य के शुभ फल घट जाते हैं।

सप्तमेश या सप्तम से इसका सम्बन्ध बने तो पत्नी और सन्तान के कष्ट होता है। शुक्र केतु साथ हों तो सन्तान का कष्ट बनता है। कारण अकेला शुक्र सदा मध्यम होता है। कोई ग्रह साथ हो तो उसे अपने अच्छे बुरे फल दे देता है।

शुक्र के साथ राहु या मंगल हो तो विवाहित जीवन में बाधा आती है। शुक्र चन्द्र का योग बने तो माता के लिए कष्ट के योग बनते हैं।

शुक्र गुरु का सम्बन्ध हों तो घर की स्त्रियों में तालमेल की कमी और उससे तनाव होता है।

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Saturday, December 18, 2021

राहु व केतु और कालसर्प योग:-

 



आंशिक या पूर्ण

1.    राहु से अष्टम में सूर्य स्थित हो तो आंशिक कालसर्प योग होता है।

2.    यदि 6-8-12 भाव में राहु हो तो आशिक कालसर्प योग होता है।

3.    इसी प्रकार चन्द्र से राहु केतु अष्टम भाव में हो तो आशिक कालसर्प होता है।

4.    चन्द्र ग्रहण चन्द्र केतु या चन्द्र राहु, सूर्य ग्रहण राहु, सूर्य, केतु सूर्य की युति आशिक कालसर्प योग के कारण अधिक पीड़ा देने वाली हानिकारक होती है।

5.    अनेकों जन्म कुण्डली में राहु और केतु के मध्य पूर्ण सात ग्रह न हो कर एक या दो ग्रह उन से बाहर होते हैं ऐसी कुन्डली को आंशिक कालसर्प योग वाली मानी जायगी जिस के लिए शान्ति कराना आवश्यक है।

6.    चाण्डाल योग राहु के साथ किसी ग्रह की वृति होने के कारण चाण्डाल योग होता है। राहु मंगल, राहु, बुध-राहु बृहस्पति राहु शुक्र, राहु शनि यह सभी युतियाँ अशुभ फलदायी होती हैं। ऐसी जन्म कुण्डलियों का उपाय अवश्य करना चाहिए, क्योंकि यह राहु से शापित होती हैं।

7.    राहु यदि पापी ग्रहों से स्वयं भी पीड़ित हो, अथवा राहु मिथुन या कन्या राशि का होकर कालसर्प योग का निर्माण कर रहा है या गोचर वश 6-8-12 भाव में आए तो राहु या केतु की दशा अन्तर्दशा विशेष पीड़ा दायक होती है।

8.    वृष, मिथुन, कन्या और तुला लग्न वालों के लिए कालसर्प योग अधिक कष्ट देने वाला होता है।

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Wednesday, December 15, 2021

सूर्य देव को प्रसन्न करने के आसान सर्वसाधारण उपाय

 



  • तांबे के बर्तन में रात भर रखा पानी रोज सुबह पिएं या दिन में सादा पानी घूंट-घूंट पीते रहें। 
  • सुबह सोते उठते ही मुंह व बालों को हल्का गीला रखकर सूरज के सामने जाएं। यदि जल्दी उठते हों या मौसम के कारण सूर्य न दिखता हो तब भी पूर्व की ओर मुंह करके खड़े होकर गायत्री मन्त्र का 10 या 28 बार जप करें अथवा 108 बार सिर्फ ॐ नाम जपें या अपनी आस्था विश्वास धर्म के अनुसार कोई मन्त्र जपें। 
  • नहाने धोने के बाद सूरज को जल से अर्घ्य दें। जल में रोली, चन्दन, चावल के दाने डालने से शुभ प्रभाव और बढ़ता है। सूर्य की धूप घर में आने का प्रबन्ध करें। धूप का सेवन करें। 
  • रात में सोते समय बिस्तर पर लेटे हुए ही फिर से सुबह वाले मन्त्र को उतनी ही बार जपें, जितनी बार सुबह सूरज के सामने जपा था। ऐसा रोज करें। अपने माता पिता, गुरु और बुजुर्गों का आदर सत्कार करें। उनके मन को ठेस पहुंचाने से बचें। 
  • घर में गंगाजल या कोई भी कुदरती जलस्रोत का जल सहेज कर रखें। 
  • संक्रान्ति, अमावस्या, पूर्णिमा, दोनों अष्टमी, ऐन सुबह शाम, कटु भाषण, गर्म मिज़ाजी, कलह, देर तक सोना, देर से नहाना और सम्भोग का निषेध करें। 
  • जहां तक हो सके दिन के वक्त स्त्री संग से बचें। इन उपायों को करने से सूर्य के सब कुप्रभाव कमजोर होंगे और शुभ फल बढ़ेंगे। ध्यान रखें, सूर्य के उपाय करने से बाकी ग्रहों के उपायों की भी ताकत बढ़ती है। ये उपाय सब उपायों की नींव हैं। सब ग्रहों पर यह नियम बराबर लागू होगा। अतः किसी भी ग्रह का उपाय करें, सूर्य के साधारण उपाय जरूर साथ में शामिल करें तभी आप को उपाय का ज्यादसे ज्यादा लाभ प्राप्त होगा। 
  • जैसा सम्भव हो और आपका मन करे तदनुसार नारियल गिरी, बादाम, गेहूं का दलिया, सूजी, मसूर की लाल दाल, गुड़, पीली शक्कर, देसी खांड, देसी घी, गर्म मसाला सप्ताह में एक दो बार किसी न किसी तरह खाएं, खिलाएं, बांटे, दान करें। 
  • किसी भी तरह का दान लेने से परहेज करें।

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Friday, December 10, 2021

बृहस्पति की शांति के 40 विविध उपाय

 



  1. गुरु के कारण उत्पन्न समस्त अरिष्टों के शमन के लिए रुद्राष्टाध्यायी एवं शिवसहस्त्र नाम का पाठ अथवा नित्य रुद्राभिषेक करना अमोघ है। 
  2. वैदिक या तांत्रिक गुरु मंत्र का जप तथा कवच एवं स्तोत्र पाठ अथवा भगवान दत्तात्रेय के तांत्रिक मंत्र का अनुष्ठान भी लाभप्रद है। सौभाग्यवश जो लोग किसी समर्थ गुरुदेव की चरण-शरण में हैं, वे नित्य गुरुपूजन एवं गुरुध्यान करने से समस्त भौतिक एवं अभौतिक तापों से निवृत्त हो जाते हैं। 
  3. अधिक न कर सकें, तो मासिक सत्य नारायण व्रत कथा एवं गुरुवार तथा एकादशी का व्रत ही कर लें। 
  4. राहु मंगल आदि क्रूर एवं पाप ग्रहों से दूषित गुरु कृत संतान बाधा योग में शतचंडी अथवा हरिवंश पुराण एवं संतान गोपाल मंत्र का अनुष्ठान करें। 
  5. ब्राह्मण एवं देवता के सम्मान, सदाचरण, फलदार वृक्ष लगवाने एवं फलों के दान (विशेषकर केला, नारंगी आदि पीले फल) से बृहस्पति देव प्रसन्न होते हैं।
  6. पंचम भाव स्थित शनि गुरु के अरिष्ट शमनार्थ 40 दिन तक वट वृक्ष की 108 प्रदक्षिणा करना बहुत हितकारी होता है। 
  7. जिन स्त्रियों के विवाह में गुरु कृत बाधा से विलंब सूचित हो, उन्हें उत्तम पुखराज धारण करना चाहिए तथा केला या पीपल वृक्ष का पूजन करना चाहिए । 
  8. गुरु को बलवान करने एवं धनप्राप्ति हेतु पुखराज युक्त "गुरुयंत्र" धार करें चमेली के पुष्प (9) अथवा (12) लेकर उन्हें जल में प्रवाहित करें।

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Wednesday, December 8, 2021

मीन लगन में धन योग और उपाय --भाग दो--

 



  1. मीन लग्न में सूर्य और चंद्रमा दोनों ही कुंभ राशि में हों तथा तीन-चार ग्रह नीच के हो तो व्यक्ति करोड़पति के घर में जन्म लेकर भी दरिद्री होता है।
  2.  मीन लग्न में यदि बलवान मंगल की पंचमेश चंद्र से युति हो तो ऐसे व्यक्ति को पुत्र द्वारा धन की प्राप्ति होती है। किंवा पुत्र जन्म के बाद ही जातक का भाग्योदय होता है।
  3.  मीन लग्न में बलवान मंगल की यदि षष्टेश सूर्य के साथ युति हो, धनभाव पर शनि की दृष्टि हो तो जातक को शत्रुओं के द्वारा उसे धन व यश की प्राप्ति होती है।
  4. मीन लग्न में बलवान मंगल की सत्रमेश बुध से युति हो तो जातक का भाग्योदय विवाह के बाद होता है तथा उसे पत्नी, ससुराल पक्ष में धन की प्राप्ति होती है।
  5.  मीन लग्न में बलवान मंगल यदि नवम भाव में, लग्नेश गुरु से युक्त या दृष्ट हो तो व्यक्ति राजा, राज्य सरकार से सरकारी अधिकारियों, सरकारी अनुबंधन (ठेको) से काफी धन कमाता है।
  6.  मीन लग्न में बलवान मंगल की दसमेश गुरु से युति हो तो जातक को पैतृक संपत्ति, पिता द्वारा रक्षित धन की प्राप्ति होती है अथवा पिता का व्यवसाय जातक के भाग्योदय में सहायक होता है।
  7. मीन लग्न में दसम भाव का स्वामी गुरु यदि छठे, आठवें या बारहवें स्थान में हो तो जातक को परिश्रम का परा लाभ नहीं मिलता। ऐसा व्यक्ति जन्म स्थान में नहीं कमाता, उसे सदा धन की कमी बनी रहती है।
  8. मीन लग्न में लग्नेश बृहस्पति यदि छठे, आठवें या बारहवें स्थान में हो एवं सूर्य तुला का आठवें हो तो व्यक्ति कर्जदार होता है तथा उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर होती है।

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Friday, December 3, 2021

कुंभ लग्न में अतिधनवान योग --भाग प्रथम--

 



कुंभ लग्न में अतिधनवान योग --भाग प्रथम--

कुभ लग्न में शुक्र, वृष, तुला या मीन का हो तो जातक को अल्प प्रयत्न से अधिक धन की प्राप्ति होती है। ऐसा जातक धन के मामले में पूर्ण भाग्यशाली होता है। कुंभ लग्न में बृहस्पति धनु मीन या कर्क राशि में हो तो जातक भारी धनपति होता है तथा लक्ष्मी ऐसे जातक का पीछा नहीं छोड़ती।कुंभ लग्न में बृहस्पति यदि मंगल के घर में एवं मंगल बृहस्पति के घर में परस्पर परिवर्तन योग करके बैठा हो अर्थात् बृहस्पति मेष या वृश्चिक राशि में हो तथा मंगल धनु या मीन राशि में हो तो व्यक्ति महाभाग्यशाली होता है। ऐसा व्यक्ति खूब धन कमाता है तथा लक्ष्मी उसकी अनुचरी होती है। कुंभ लग्न हो पंचम भाव में बुध हो, गुरु धनुराशि का लाभस्थान में चंद्रमा या मंगल के साथ हो तो 'महालक्ष्मीयोग' बनता है। ऐसे जातक के पास अटूट लक्ष्मी होती है। अपने भुजबल से शत्रुओं को परास्त करता हुआ ऐसा व्यक्ति अखंड राज्यलक्ष्मी को भोगता है कुंभ लग्न में मंगल यदि केंद्र त्रिकोण में हो तथा गुरु स्वगृही हो तो जातक कीचड़ में कमल की तरह खिलता है अर्थात् धीरे-धीरे अपने पुरुषार्थ व पराक्रम से लक्षाधिपति व कोट्याधिपति हो जाता है। ऐसे जातक का भाग्योदय प्राय: 28 व 32 वर्ष की आयु के मध्य होता है। कुंभ लग्न हो पंचम भाव में बुध हो तथा लाभस्थान में अर्थात् धनु राशि में चंद्र, मंगल हो तो जातक महाधनी होता है। कुंभ लग्न हो, लग्न में शनि मंगल एवं गुरु की युति हो तो 'महालक्ष्मीयोग' बनता है। ऐसा जातक प्रबल पराक्रमी, अतिधनवान, ऐश्वर्यमान एवं महाप्रतापी होता है। कुंभ लग्न में शनि धनु राशि में हो तथा लाभेश गुरु लग्न में हो तो जातक 33वें वर्ष में पांच लाख रुपये कमा लेता है तथा शत्रुओं का नाश करते हुए स्वअर्जित धनलक्ष्मी को भोगता है। ऐसे व्यक्ति को जीवन में अचानक धन मिलता है कुंभ लग्न हो, लग्नेश शनि धनेश व लाभेश बृहस्पति भाग्येश शुक्र अपनी-अपनी उच्चराशि या स्वराशि में हो तो जातक करोड़पति होता है।

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संतान बाधा और उपाय

  (संतानहीन योग ) पंचमेश पापपीड़ित होकर छठे, आठवें, बारहवें हो एवं पंचम भाव में राहु हो, तो जातक के संतान नहीं होती। राहु या केतु से जात...